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जब से विद्यालय में मैंने पढ़ाना शुरू किया तब से ही रंगमंच मेरे साथ जैसे जुड़ गया था। बच्चों के साथ जब उन्हें कुछ सिखाने का प्रयास करती तो स्वयं ही कुछ सीख जाती। रंगमंच कितना प्रभावशाली माध्यम है अभिव्यक्ति का! मैंने इसके द्वारा कितने बच्चों के व्यक्तित्व को बदलते हुए देखा है। जो बच्चे पहले संकोची से होते हैं,…

सुबह-सुबह पेड़ों की पत्तियों से छनकर आती सूर्य की किरणें कुछ चमत्कारिक आभास दे रही थीं। यदा-कदा कुछ लोग पार्क में घूमते दिख रहे थे। यहाँ लगे पेड़ कम से कम सौ डेढ़ सौ साल पुराने होंगे। उनके पुख़्ता तने के चारों तरफ़ फैली टहनियाँ और उन पर कूंजती कोयल मौसम बदलने का साफ़ संकेत दे रही थी। तभी कहीं…

माइक पर ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए डॉक्टर बेनीप्रसाद भविष्य के युवा लीडर्ज़ को सम्बोधित कर रहे थे। इंडियन हैबिटैट सेंटर में एक शख़्स अपने अजूबे गिटार के साथ प्रविष्ट हुए। उनकी और गिटार की छटा निराली थी। स्वयं भी रोचक आकर्षक व्यक्तित्व के धनी लगे। लम्बे घुंघराले बाल, हाथों में ढेरों फ़्रेंड्शिप बैंड, आँखों में निरीह सौम्यता…

बच्चे हिंदी की किताबें नहीं पढ़ते - जब भी अभिभावक मुझसे मिलते थे, यही शिकायत करते थे। इस बार मैंने कुछ अलग सोचा। मैं अपने घर से बाल भारती पत्रिका के कुछ अंक और कुछ अपने संग्रह से किताबें घर से लेकर आई और कक्षा में बच्चों के सामने रख दीं। बच्चों को बताया कि ये सब मेरी किताबें हैं…

जीवन में हम कभी ना कभी किसी और से प्रभावित होते रहे हैं। कभी ये प्रेरणा हमें सही दिशा भी देती है और कभी ग़लत राह पर भी मोड़ देती है। इसलिए जीवन को आसान या कठिन बनाना हमारे नज़रिए पर निर्भर करता है। आप जीवन में बहुत कुछ कर सकते हैं इतना जितना आप सोच भी नहीं सकते। गीता…

जीवन में औरों से हटकर कुछ नया करने की इच्छा क़िसमें नहीं होती? सभी अपने-अपने दायरे से बाहर निकलकर दुनिया को जीतने का हौसला रखते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि आप किसी से मिलकर इतने प्रभावित हो जाते हैं कि दुबारा मिलकर उनके बारे में और जानने की इच्छा प्रबल हो जाती है। उड़ीसा में जन्मे श्री…

मेरे विचार से समस्त विश्व में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होता जो अपने जीवन में सफल नहीं होना चाहता। सब सुखी जीवन की ही कामना करते है। हम ही नहीं हमारे शुभेच्छु अर्थात हमारे माता-पिता, शिक्षक, भाई, बंधु, सखा सभी हमें सुखी रहने का आशीर्वाद व शुभकामनाएँ देते हैं किंतु सुख व समृद्धि का माप दंड क्या है? क्या सबके…

देखो, फिर आया वसंत सरसों फूले दिग दिगन्त धानी चादर, पीली बहार अम्बर गूँजे, चली बयार, देखो फिर आया वसंत...बढ़ गई धरती की शोभा अनंत....। भारतवर्ष को षट्ऋतुओं का उपहार प्रकृति ने दिल खोलकर दिया है। वसंत ऋतु का नाम ही प्रकृति में आनेवाले सुखद बदलाव का प्रतीक है। सूखी टहनियों में निकलते नए हरे-हरे कोंपल। खेतों में लहलहाते सरसों…

जिसकी नज़्मों में अहसास इतनी नज़ाकत के साथ सिमट जाता हो कि जैसे चॉंदनी में छिपी आफताब की किरणें। जिसने ज़िंदगी के हर लम्हे को अपनी कायनात में सितारे सा पिरो लिया हो ताकि जब उसका ज़िक्र आए तो वो नज़्म बनकर उतर आए। जिसका बचपन मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू से लबरेज हो और दिमाग़ के कोने में अपनी ख़ासी…

नव वर्ष का स्वागत है। जो बीत गया, उस समय का धन्यवाद। बहुत कुछ घटित हुआ और बहुत कुछ मिला। वहीं से आगे बढ़ते हुए नए आनेवाले समय के प्रति नई आशाओं के साथ आइए, अब हम साथ-साथ बढ़ें। हमारे प्रोजेक्ट फ्युएल के १ मिलियन सदस्यों के अभियान में आप सभी का स्वागत है। प्रोजेक्ट फ्युएल का अभिप्राय ही है…

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