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Monthly Archives January 2018

पिताजी के एक बाल सखा हैं श्री अन्नाभाऊ कोटवाले साहब, जो उनके स्वर्गवास के समय समाचार मिलते ही आ गए थे। दुःख में अपने साथ होते हैं तो सहनशक्ति बढ़ जाती है। समय के साथ दुःख की तीव्रता तो कम हो जाती है, पर खालीपन रह जाता है। दो तीन माह पश्चात वे एक बार फिर घर हाल-चाल जानने आए।…

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