बहुत सही नारा है। हर गली-मुहल्ले, टेलिफोन वार्तालाप, स्कूल, यूनिवर्सिटी की कैंटीन या नुक्कड़ नाटक के dialogue में अक्सर सुनायी पड़ रहा है। Change- yes, Change in what? परिस्थिति, वातावरण, राजनीति या आर्थिक नीति? कहाँ चाहिए change? इस change को लानेवाला कौन है? अलादीन का चिराग़-जिन्न या देश का युवा? जो सोचता बहुत है दम-ख़म भी रखता है पर पहल…
Monthly Archives April 2017
जिसने चेतना को झकझोर दिया। दिसम्बर का महीना, कड़ाके की सर्दी से सारा उत्तर भारत काँप रहा था। चारों ओर कुहासे की चादर फैली हुई थी। आम आदमी क्या पशु-पक्षी भी अपने-अपने नीड़ों में घुसकर सर्दी से बचने का प्रयास कर रहे थे, ऐसे ही समय में मुझे एक अत्यावश्यक कार्य से अपने दो छोटे बच्चों के साथ शहर से…
मेरे सभी पुत्रों और पुत्रियों, मैं अब 93 वर्ष का हो चला हूँ। मैं भारतीय आर्मी का एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल हूँ। शायद अभी तक पुराने ज़माने से ताल्लुक रखता हूँ। मैं जीवन के अन्तिम प़ड़ाव में चल रहा हूँ। मैंने विवाह नहीं किया, मेरा अन्य कोई परिवार नहीं है। मेरे जियू (Jew) वंश की आखिरी पहचान मेरे साथ ही…