"आपको जिस हाल जीना है ,जीना ही पड़ेगा, मौत माँगे से भी नहीं मिलती है । मुझे पूरा भरोसा है ज़िंदगी ऐसीच है मैडम, मैंने बीस सालों में कई जिंदगियों को जिया है । हम सपने की तरह जी रहे थे .....जो आप खुली आँखों देखते हैं .....बहुत ख़ौफ़नाक!" ये शब्द थे बस्तर के भीषण जंगलों से बाहर आयी एक…
Monthly Archives January 2016
रेल की पटरी.......मैं सरपट दौड़ती चली जा रही हूँ पीछे-पीछे पापा, "बेटे मुझे पूरा याद कर के सुना दे।" "फिर ..... पापा, फिर तो नहीं पूछोगे?" "ना...". "Arise, Awake and sleep no more..... बस .......". मेरे हाथों में अमलतास की फूलों भारी टहनी और उनके हाथों में गुल मोहर की हम ये फूल अम्माँ को गिफ़्ट करते थे...... वो मुझे…
यूँ ही मेज़ पर रखी मासिक पत्रिकाओं के पन्ने टटोलते हुए निगाह कुछ अभिव्यक्तियों पर पड़ी। मैंने उन्हें डायरी में अंकित कर लिया। दिल तक छू जानेवाली ये कविताएँ और उनमें भी कुछ पंक्तियाँ ऐसी, जो ज़ुबान पर बार -बार आएँ। कम शब्दों में अनुकरणीय और सटीक पेशकश...... मित्रों, ऐसी गागर में सागर जैसी बातों को क्यों ना गहराई से…
रॉयल एन्फ़ील्ड की धमक सुन मैं उछलकर फ़ुटपाथ पर चढ़ गयी। कनखियों से देखा तो studs का भारी हेलमेट उतरा और चमकीले काले बाल उसके कंधों पर बिखर गए, अद्भुत फ़िल्मी सीन था। तीखे नैन नक्शोंवाली नवयुवती कंधे पर पीछे बैग उछालकर सामने की बिल्डिंग में गुम हो गयी, और मैं उसकी मोबाइक ही देखकर भावुक हो उठी। अपनी पुरानी…