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रेल की पटरी…….मैं सरपट दौड़ती चली जा रही हूँ पीछे-पीछे पापा, “बेटे मुझे पूरा याद कर के सुना दे।” “फिर ….. पापा, फिर तो नहीं पूछोगे?” “ना…”.

“Arise, Awake and sleep no more….. बस …….”.

मेरे हाथों में अमलतास की फूलों भारी टहनी और उनके हाथों में गुल मोहर की
हम ये फूल अम्माँ को गिफ़्ट करते थे……
वो मुझे बचपन से ही याद करवाते थे-
“Take up one idea.Make that one idea your life-think of it ,dream of it,live on that idea.Let the brain,muscles,nerves every part of your body be full of that idea and just leave every other idea alone.This is the way to success.That is the way great spiritual giants are produced”
ये अद्भुत विचार हैं स्वामी विवेकानंद के,जिनमें जीवन में सफलता पाने का गुर निहित है।

“एक विचार को पकड़ लो। उस एक विचार को अपने जीवन में गूँथ लो -उसी को सोचो, उसी का स्वप्न संजोकर उसी पर जियो, अपने मस्तिष्क, माँसपेशियों, नाड़ियों और अपने पूरे शरीर में उसे भर लो, बहने दो और किसी अन्य को प्राथमिकता ना दो। यही सफलता पाने का तरीक़ा है। बहुत से आध्यात्मिक गुरु इसी तरह बने हैं।”

मित्रों, इन दो पंक्तियों में स्वामी विवेकानंद ने नई पीढ़ी के लिए रामबाण दे दिया है, संजीवनी बूटी के साथ ।मेहनत और लगन से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता।

आज तिथि 12 जनवरी 2016 है स्वामी विवेकानंद की जन्म तिथि, जिसे राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में देश भर के विद्यालयों में और यूनिवर्सिटीज में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है ।

सुबह-सुबह कहीं पास किसी विद्यालय की घंटी बड़ी देर तक बजती सुनायी दी। बहुत आश्चर्य हुआ इतनी सुबह? हम यहाँ नए-नए आए हैं आसपास का जुगराफिया अभी जहन में चढ़ा नहीं है। मुझे सुबह-सुबह तैयार होकर स्कूल जाते बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं इसीलिए मैं उसी वक़्त सैर को निकलती हूँ। मैंने बच्चों से पूछा ये इतनी सुबह कौन से स्कूल में घंटी बजी? उन्होंने बताया सामने की दो लेन छोड़कर बिल्डिंग के पीछे गीता संस्कृति स्कूल है जहाँ कभी किसी विशेष अवसर पर ऐसी घंटी बजती है। वाह!बहुत ख़ूब संकेत का मोर्स कोड घंटी के द्वारा ….. थोड़ा आगे बढ़ने पर गीता संस्कृति इंटर्नैशनल स्कूल दिखायी दिया। मैं सोच में पड़ गयी वाह रे मेरे देश! गीता संस्कृति अपने आप में पूरा नहीं है जो इंटर्नैशनल लगाने की ज़रूरत पड़ गयी? स्कूल में अभी एक चौकीदार और सफ़ाईवाला दिखायी दिया। मैं घर लौट ही रही थी कि श्रीमती नेगी ने उसी स्कूल में मनाए जाने वाले प्रोग्राम में चलने का न्योता दिया। मुझे कुछ और काम भी थे पर मन में छिपी अध्यापिका जागृत हो गयी। मैंने शीघ्रता से सब काम निबटाए और दस मिनट पहले तैयार होकर उनके साथ पैदल ही चल दी।रास्ते में उनसे पूछा क्या सुबह-सुबह इसी स्कूल की घंटी सुनायी दे रही थी? वो हंस पड़ीं और बोली, “हाँ, गीता मैडम बहुत सी मज़ेदार बातें करती हैं अपने विद्यार्थियों को समय पर बुलाने के लिए।” अब समझ आया गीता संस्कृति में गीता किन्हीं मैडम का नाम है। हम फिर वहीं पहुँच गए जहाँ मैं सुबह होकर गयी थी पर अब गेट खुले थे। प्रांगण विद्यार्थियों से भरा था। कुछ बच्चे हाथों में रंग-बिरंगी झंडियाँ लिए खड़े थे। पास से देखा तो इनपर कुछ लिखा हुआ भी था। बिल्डिंग की ओट में छिपा एक ग़ुब्बारे वाला भी दिखा जो सफ़ेद, नारंगी और हरे ग़ुब्बारे फुला रहा था। कई अन्य अभिभावक, अतिथि धीरे-धीरे अंदर आ रहे थे। आपस में अभिवादन और हाल-चाल पूछने की औपचारिकता भी चल रही थी। ठीक ११:१५ पर लम्बी घंटी दुबारा बजी और गेट बंद कर दिया गया। मंच से माइक पर सभी अतिथि गणों का स्वागत करते हुए यथास्थान बैठने के निर्देश दे दिए गए।

सभी बच्चे अपनी-अपनी कक्षा की पंक्तियों में खड़े हो गए। अब प्रधानाध्यापिका गीता मैडम हाथ में मशाल लिए आयीं, उसे मंच के एक कोने में मुख्य अतिथि द्वारा स्थापित करवाया और कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। सबसे पहले बच्चों ने राष्ट्रीय ध्वज के आस-पास खड़े होकर वन्देमातरम गाया। हमें भी उसमें शामिल किया। राष्ट्रीय ध्वज वहाँ पहले से ही फहरा रहा था। उसके चारों तरफ़ ख़ूबसूरती से की गयी फूलों की अल्पना मन में गहन बसी यादों को ताज़ा कर गयीं। अब आँखें साथ नहीं दे रही थीं। किसी तरह अपने को सम्भाला, सामने स्टेज पर खड़ी बालिका राष्ट्रीय युवा दिवस पर बोल रही थी।……….

देश के लिए इस दिन का बहुत महत्त्व है। १२ जनवरी १८६३ के दिन कोलकाता में नरेन्द्रनाथ दत्त का जन्म हुआ था।ये बचपन से ही प्रखर बुद्धि, मेधावी छात्र थे जिनकी फ़ोटोजेनिक याददाश्त बहुत प्रसिद्ध है यानि एक बार देख लेते थे तो मस्तिष्क में छायांकित हो जाता था। स्वामी राम कृष्ण परमहंस ने इन्हें पहचाना और उन्ही की दीक्षा से ये आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सके। उससे पहले ये थिओसोफ़िकल सोसायटी के मेम्बर थे। इन्होंने पश्चिमी देशों में हिंदू धर्म और वेदांत का प्रचार व प्रसार किया जहाँ ये स्वामी विवेकानन्द के नाम से प्रसिद्ध हुए। ये शिकागो में १८९३ में ‘पॉर्लियामेंट अाफ वर्ल्ड रेलिजिन’ में इंडिया की तरफ़ से भेजे गए, उस समय दी गयी इनकी स्पीच जब “सिस्टर्ज़ एंड ब्रदर्ज अव अमेरिका”से शुरू हुई तो सात हज़ार लोगों की भीड़ ने खड़े होकर दो मिनट तक तालियाँ बजायीं। इन्होंने हिंदुस्तान की बहुत व्यापक यात्रा की और अंग्रेज़ी राज्य में हिन्दुस्तान की स्थिति को स्वयं गहराई से समझा। वे एक अनन्य देश भक्त तपस्वी थे।

सन १९८४ में १२ जनवरी स्वामी विवेकानंद को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में घोषित की गयी। १९८५ में इसी दिन प्रथम युवा दिवस मनाया गया। ……… Arise, Awake and sleep no more.Within each of you there is the power to remove all wants and all miseries. Believe this and that power will be manifested. यह कहते हुए बालिका ने स्पीच समाप्त की।

अब स्टेज पर क़रीब बीस बच्चे हाथों में गोल बड़े-बड़े रिंग लिए कई आकृतियाँ बना रहे थे।पीछे बंगाली भाषा में कोई देश गीत चल रहा था। उनके बाद एक विद्यार्थी आया जिसने स्वामी विवेकानन्द के विचारों को ध्यान में रखते हुए control of mind पर बोला…… अनुशासनहीन मस्तिष्क हमेशा नकारात्मक सोच से जूझता रहता है और अनुशासित मस्तिष्क ऐसी सोच से दूर करता है। इसीलिए स्वामी विवेकानन्द ने self awareness पर बहुत बल दिया। ध्यान में सुबह शाम अवश्य बैठो आपकी इच्छाशक्ति और दृढ़ता आपको मन पर विजय दिला सकती है।

“Talk to yourself at least once in a day otherwise you may miss a meeting with an excellent person in this world”.

मस्तिष्क को कंट्रोल में एक दिन में नहीं लाया जा सकता इसके लिए सायास,सतत प्रयास करना आवश्यक है।……
अब नन्हें – नन्हें बच्चे फ़ौजी यूनफ़ॉर्म में हाथ में प्लास्टिक की बन्दूकें लिए ऐक्शन कर रहे थे……
पीं पीं ,पीं पीं डरा ररा रम
नन्हें-नन्हें सैनिक हम….
देश को बचाएँगे ,दुश्मन को दूर भगाएँगे
सबसे ज़्यादा तालियाँ इन्होंने ही बटोरीं।इनके बाद छठी-सातवीं के बच्चे आए और झंडियों में लिखी कुछ अनुकरणीय
पंक्तियाँ बोल कर गए। सभी स्वामी विवेकानंद के भाषणों में से ली गयीं थीं।

“Infinite patience,infinite purity and infinite perseverance are the secret of success in a good cause.”
किसी भी अच्छे कारण से किए गए कार्य के लिए असीमित धैर्य, असीमित पवित्रता और असीमित मेहनत की आवश्यकता होती है।

“Each work has to pass through three stages – ridicule,opposition and then acceptance.
Those who think ahead their times are sure to be misunderstood.”

सभी अच्छे कार्यों को तीन अवस्थाओं से गुज़रना होता है – मज़ाक़, विरोध और फिर स्वीकृति।जो समय से आगे सोचता है उसे समाज ग़लत ठहराता है।

अब मुख्य अतिथि स्वामी विवेकानंद से प्रभावित महान नेताओं गांधी जी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल आदि के बारे में बता रहे थे….

“Do not be afraid of a small beginning great things come afterwards. Be courageous,do not try to lead your brethren ,but serve them.”
छोटी -छोटी शुरुआत से डरिए नहीं उसके पीछे ही ऊँचाइयाँ आती हैं हिम्मत रखिए, अपने बंधुओं के लीडर बनाने का प्रयास मत करिए, उनकी नि:स्वार्थ सेवा करिए।

इसके बाद तीन रंगों के ग़ुब्बारे बच्चों ने आकाश में छोड़ दिए …….. नीला साफ़ आसमान रंगों से भर गया मानो संदेश दे रहे हों जीवन में सुखद रंग भरने के लिए चरित्र निर्माण की तैयारी करो …….
बच्चों को मिठाई बाँट कर कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा कर दी गयी।

धन्यवाद, गीता मैडम और अध्यापिकाएं आपके प्रयासों से हम भी बहुत लाभान्वित हुए। आपका विद्यालय इंटर्नैशनल ऊँचाइयों को अवश्य छुएगा। ये छात्र देश के गौरव बनेंगे ही बनेंगे।

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बचपन से प्रकृति की गोद में पली-बढ़ी श्रद्धा बक्शी कवि और कलाकार पिता की कलाकृतियों और कविताओं में रमी रहीं। साहित्य में प्रेम सहज ही जागृत हो गया। अभिरुचि इतनी बढ़ी कि विद्यालय में पढ़ाने लगीं। छात्रों से आत्मीयता इतनी बढ़ी कि भावी पीढ़ी अपना भविष्य लगने लगी। फ़ौजी पति ने हमेशा उत्साह बढ़ाया और भरपूर सहयोग दिया। लिखने का शौक़ विरासत में मिला जो नए कलेवर में आपके सामने है......

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