मैं तो सोच भी नहीं सकती थी कि सुबह 5 बजे मेरी आँख खुल जाए। इतनी सुबह उठने के लिए एक या दो नहीं बल्कि लगातार चार से पांच अलार्म लगा कर सोना पड़ता था या फिर कोई दो- चार आवाज़ लगाए। सारे नहीं लेकिन मैंने अपने अधिकांश दोस्तों के साथ ऐसा ही होते देखा है।फिर मैं अक्सर सोचा करती…