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बादल पे पांव हैं

यह लाइन “बादल पे पांव हैं” सुनते ही लगता है, जैसे किसी ने आज़ादी की ऊचाइयां छू ली हों| ज़रा सोचिए, अगर ये आज़ादी किसी लड़की या महिला ने चखी हो ? हाँ, एक लड़की जिसे हम हमेशा सुरक्षा देना चाहते हैं, उसे हर खतरे व मुसीबत से दूर रखना चाहते हैं । इन सब बातों के बीच हम उन्हें खुल कर जीना सिखा ही नहीं पाते ।

यह बात मुझे बुलबुल नाम की लड़की ने समझाई |बुंदेलखंड की एक तहसील में रहने वाली बुलबुल बचपन से ही अपनी दादी से राजकुमारियों की कहानी सुना करती थी। उन कहानियों में हमेशा राजकुमारी या तो राजा की ज़िम्मेदारी होती थी या फिर किसी राजकुमार की। अपने घर में भी वो यही देखती थी कि मम्मी कभी अकेले बाजार नहीं जाती थीं और वो खुद हमेशा पापा या भाई के साथ ही घर से बाहर जाया करती थी । 

बुलबुल हमेशा से नई-नई जगहों को देखने के लिए बड़ी उत्सुक रहती थी| उसका परिवार हमेशा साल में एक बार घूमने जाया करता था। बड़े होने के साथ ही उसे इंटरनेट पर लोगों के साहसी व उत्तेजक एकल यात्रा वृतांत यानि सोलो ट्रेवल ब्लॉग्स पढ़ने का मौका मिला।

कैसे लोग बस एक सूटकेस में अनजानी जगहों पर घूमने निकल जाते हैं । लेकिन जब उसने गहराई से देखा तो पाया कि अधिकतर सोलो ट्रेवल या तो लड़के करते हैं या फिर विदेशी महिलाएं । भारत में बस चुनिंदा लड़कियां या महिलाएं ही ऐसा करने का सोचती हैं । इसकी वजह भी हमारे देश की सोच में बसी है। साथ ही लड़कियों की सुरक्षा को लेकर भी हमारे अंदर एक डर बैठा हुआ है जो कि हक़ीक़त है। लेकिन बुलबुल इस बात से ज़्यादा डरती नहीं थी |अपने कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद जब वह नौकरी करने दिल्ली पहुंची , तो उसने सोचा कि जब मैं अपने शहर से नए शहर आ सकती हूँ,  तो किसी और जगह भी जा सकती हूँ । उसके ऑफिसके लोगों से उसने सोलो ट्रेवल के बारे में जाना और निश्चय किया कि वो भी अकेले घूमने का मज़ा लेगी ।

बुलबुल की बातों में, उसके चेहरे के हाव-भाव में साफ़ झलक रहा था कि सोलो ट्रेवल का वास्तव में अलग ही मज़ा है । उसने बताया कि कैसे लड़कियां अपने तर्कहीन भय से बाहर आकर, ज़्यादा मजबूत, दृढ़ और आत्मविश्वासी (कॉंफिडेंट) बन सकती हैं । वो ये बात जान सकती हैं, कि वो स्वयं अपनी ज़िम्मेदारी उठाने में सक्षम हैं। निसंदेह डर लगता है, परन्तु साथ ही उस डर से कैसे बाहर आना है, कैसे खुदको सुरक्षित रखना है, दूसरों पर आश्रित रहे बिना भी काम किये जा सकते हैं , इत्यादि का अनुभव सोलो ट्रिप आपको दिलाता है ।

सही कहा था उसने, “ये दुनिया एक प्रयोगशाला है, और ज़िन्दगी हमें एक्सपेरिमेंट्स करने के लिए मिली है।”  पहली बार अकेले घूमने जाना, चुनौती भरा काम है लेकिन ये आपको बहुत कुछ सिखाता है। खास कर लड़कियों को अपने आज़ाद, स्वतंत्र व आत्मविश्वासी होने का एहसास दिलाता है । तो इस एहसास को महसूस करने के लिए बुलबुल ने अपनी सोलो ट्रिप्स की शुरुवात बनारस शहर से की और फिर हिमाचल प्रदेश और राजस्थान घूमी ।

पहली बार फ्लाइट में बैठने से लेकर , बादलों को नज़दीक से देखना, कुछ अनजाने लोगों के साथ बात करना, कैब से अकेले होटल पहुंचना, लोकल ट्रेवल करना, हर जगह को अकेले महसूस करना। यह एक ऐसा अनुभव है जिसकी व्याख्या शब्दों में आसानी से नहीं की जा सकती ।

आज बुलबुल अपने सारे काम अकेले करने के काबिल है और उसके परिवार को भी विश्वास है कि वो अपने साथ-साथ ज़रूरत पड़ने पर उनके काम भी अकेले कर सकती है।  

अब बात आती है कि हमें सिर्फ घूमने के आनंद पर ध्यान नहीं देना है बल्कि अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना है जो बेहद ज़रूरी है । यदि अकेले यात्रा करनी है तो कुछ बातें गाँठ बाँध लेनी चाहिए ताकि आप सुरक्षित रहते हुए घूमने का पूरा लुत्फ़ उठा पाएं।

1. शहर के बारे में पहले से जानकारी प्राप्त करें । 

2. ऐसी ट्रेन या फ्लाइट चुनें , जो आपको दिन के समय में ही पंहुचा दे ताकि आप अँधेरा होने से पहले होटल पहुंच सकें।

3. कम से कम सामान लेकर जाएं।

4. अपने ठहरने के स्थान का पता अनजान लोगों से सांझा न करें।

5. शहर में रहने वाले किसी सम्बंधी या पारिवारिक मित्र का फोन नम्बर लेकर जाएं ।

6. अपने कागज़ात / डॉक्यूमेंट संभाल कर रखें।

7. अन्य महिला ट्रैवलर से मिलें।

8. टेक्नोलॉजी जैसे मोबाइल , लैपटॉप आदि में समय न गंवाएं । बस आवश्यकता पड़ने पर ही इस्तेमाल करें।

9. ऐसी जगहों पर ना जाएं जो सुरक्षित न हो।

10. अपने चेहरे पर एक मुस्कराहट व कॉन्फिडेंस रखें।

लोगों के यह कह देने से कि आपके ट्रेवल के सपने असंभव हैं, बेवकूफी भरे हैं या एक लड़की अकेले कैसे घूम सकती है ? यह सब सुनकर खुद को मत रोकिए । एक ज़िम्मेदार व जानकार लड़की बनकर घूमा जा सकता है।

PS: अपने साथ एक पेपर स्प्रे या छोटा चाक़ू आत्म सुरक्षा के लिए हमेशा रखें।  

आस्ते भग आसीनस्योर्ध्वस्तिष्ठति तिष्ठतः

शेते निपद्यमानस्य चराति चरतो भगश्चरैवेति

अर्थ जो मनुष्य बैठा रहता है, उसका सौभाग्य भी रुका रहता है ।जो उठ खड़ा होता है उसका सौभाग्य भी उसी प्रकार उठता है जो पड़ा या लेटा रहता है उसका सौभाग्य भी सो जाता है और जो विचरण में लगता है उसका सौभाग्य भी चलने लगता है

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