बढ़ते कदम – एक प्रयोग

बच्चे हिंदी की किताबें नहीं पढ़ते – जब भी अभिभावक मुझसे मिलते थे, यही शिकायत करते थे। इस बार मैंने कुछ अलग सोचा। मैं अपने घर से बाल भारती पत्रिका के कुछ अंक और कुछ अपने संग्रह से किताबें घर से लेकर आई और कक्षा में बच्चों के सामने रख दीं। बच्चों को बताया कि ये सब मेरी किताबें हैं और पूछा कि इन्हें कौन पढ़ना चाहता है। कुछ बच्चों ने हामी भरी और किताबें ले लीं। मैंने उन्हें घर ले जाने के लिए दे दीं। अगले दिन कुछ बच्चों ने आकर बताया कि उन्होंने उन किताबों में से कहानियाँ पढ़ ली हैं। एक बच्चे को मैंने कहानी सुनाने को कहा। जब उसने कहानी सुनाई तो सबको कहानी बहुत अच्छी लगी। अब कुछ और बच्चे भी मुझसे किताबें माँगने लगे। मुझे भी उन्हें किताबों से परिचय करवाकर आनंद आने लगा। कक्षा में होड़-सी शुरु हो गई कि आज कौन कहानी सुनाएगा।
धीरे-धीरे कक्षा के बच्चे अपने घर में रखी किताबें भी लाने लगे। कक्षा में बच्चे बेताबी से इंतज़ार करते हैं कि आज मैम किसे मौका देंगी। कुछ दिन बाद मैंने उनसे पूछा कि उनका अनुभव कैसा रहा। बच्चों ने बताया कि जब हम पुस्तकालय से हिंदी की किताबें लेकर जाते हैं तो किताबें पढ़ने का अधिक मन नहीं करता था लेकिन जब आपने अपनी किताबें दीं तो उन्हें पढ़ने का अहसास अलग था। उन्हें पकड़ते ही आपकी बातें याद आतीं और पढ़ने का अधिक मन करता था। कक्षा में उन कहानियों को सुनाने का अलग आनन्द है।
एक बार बच्चों को किताबें पढ़ने की रुचि जागृत हो जाए, तो वे अवश्य ही पुस्तकालय से भी किताबें लेकर पढ़ेंगे। ‘बढ़ते कदम’ यह एक छोटा-सा प्रयोग था और आशा है आने वाले दिनों में इसके परिणाम और बेहतर होंगे। समय-समय पर कक्षा के अनुसार अपने प्रयोग करते रहने चाहिए। बच्चों को खुश देखकर मन आनंदित हो उठता है।
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‘प्रोजेक्ट फ्युएल’ द्वारा हम चाहते हैं कि हमारे देश के गुणी एवं प्रेरक अध्यापकों को स्कूल की सीमा के बाहर भी अपने अनुभव भरे ज्ञान बाँटने का अवसर मिले। इस समूह के निर्माण से ना केवल अध्यापकों को अपनी बात कहने का मंच मिलेगा बल्कि अपनी कक्षाओं से बाहर की दुनिया को भी प्रभावित और जागृत करने की चुनौती पाएंगे। आज यह प्रासंगिक होगा कि हम एक पहल करें हिंदी के लेखकों और पाठकों को जोड़ने की।हम चाहते हैं कि पाठक अपनी बोलचाल की भाषा में कैसी भी हिंदी बोलें पर उनका शब्द भंडार व वाक्य विन्यास सही रहे। हमें उम्मीद है इस सफ़र में साथ जुड़कर अध्यापक बहुत कुछ नई जानकारी देंगे।
इसी श्रंखला में हमने आमंत्रित किया है :
श्रीमती ऊषा छाबड़ा