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लम्बी हवाई यात्रा तीन -तीन मूवीज़ देखने के बाद अब क्या करें? कॉफ़ी बनायी और थोड़ी वॉक कर ली। जहाज़ की परिचरिकाओं से भी बात करली…. सीट पे आकर बैठे, लगा चलो हिंदी गानों की विडीओ देखते हैं। खोलते ही ए आर रहमान का गीत आ गया दिल से रे……..एक सूरज निकला था, कुछ पारा पिघला था। एक आँधी आयी थी, जब दिल से आह निकली थी दिल से रे………… दिल तो आख़िर दिल है ना मीठी सी मुश्किल है ना……….
गीत चलता रहा और ध्यान अचानक से अानेवाली १४ तारीख, वैलेंटायन डे पर गया। वाह! What a co -incidence! हम बहुत अद्भुत दिन अमेरिका की धरती पर उतरेंगे। १२ तारीख़ सरस्वती पूजन वसंत पंचमी के दिन हम चले थे। सरस्वती विद्या प्रदायिनी, विवेक बुद्धि देने वाली देवी हैं, हिंदुस्तान में सभी प्रांतों में उनकी पूजा की जाती है। वसंत ऋतु का ध्यान रखते हुए इसी दिन को क़ौमुदी महोत्सव भी कहते हैं। बसंत ऋतु कामदेव और रति का उत्सव है प्रकृति अपनी फूलों भरी रंगत में गुलज़ार रहती है। इन्ही दिनों बसंत बहार राग गया जाता है जिसमें कृष्ण और गोपियों की रास का वर्णन स्वरों में बांधा जाता है। खेतों में पीले रंग के सरसों के फूल खिलते हैं और भारतीय पीले वस्त्र-परिधान पहनकर इस ऋतु का अभिनन्दन करते हैं।

इस बार बसंत पंचमी के तुरंत बाद ही १४ फ़रवरी आ गयी और वैलेंटाइन डे का ख़ुमार बाज़ारों में छा गया। हिंदुस्तान से जब चले थे तो मॉल, दुकानें, बाज़ार सभी लाल रंग के balloons, buntings, cupids और गुलाबों से सजे थे। इन दिनों ऐसा लगता है जैसे romance एक अनुभूति नहीं, इन्ही सब वस्तुओं में सिमट गया है दुकानदार अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाना चाहता है। ख़ैर, expression कैसे भी हो, expression ही है इन वस्तुओं की बिक्री के पीछे गहरी सम्भावना है जो होंठों से बात ना निकली वो एक लाल रंग के teddy bear या गुलाबों ने कह दी। ख़ूबसूरत सा अहसास है जो शायरों की प्रेरणा बन शब्दों में ढल जाता है………..

कहीं पढ़ा था ….. “बेपनाह मुहब्बत का एक ही उसूल है,
मिले ना मिले ,तू हर हाल में क़ुबूल है।”

प्रेमी के वजूद से ही शायर इतनी मुहब्बत करने लगता है कि जीवन में मिले या ना मिलें सिर्फ़ ख़याल ही सम्पूर्ण है ।हर हाल में स्वीकृति है।

मिर्ज़ा ग़ालिब कह गए ….. ” ये इश्क़ नहीं आसान बस यूँ समझ लीजिए
आग का दरिया है और डूब के जाना है ”
बहुत सुदर अन्दाज़ है। उम्रें दराज़ में हर इंसान इस प्यार के अनुभव से गुज़रता है और समाज के पहरेदार भरसक कोशिश में रहते हैं इस पर रोक लगाने की। लुका छिपी, बदनामी का डर और खुलने पर अंजाम। ना जाने क्यूँ मुहब्बत के अहसास से ही डर पैदा कर देते हैं। फिर भी इश्क़ पनपता है। आदान-प्रदान होता है और वक़्त का दरिया बहता जाता है। मिलन सम्भव हो या बिछुड़ना ये खुदा की मर्ज़ी पर निर्भर करता है।
“सुना है सब कुछ मिल जाता है दुआ से,
मिलोगे ख़ुद या मॉंगू खुदा से…….”
मिलने की कशिश प्रेमी को खुदा का दरवाज़ा तक ख़टखटाने की प्रेरणा देती है।निराला expression है, ख़ुद ही मिलने आ जाओ नहीं तो दुआ में ही तुम्हें माँग लूँ।
“पुराने शहर के मंज़र नए लगने लगे मुझको …..
तेरे आने से कुछ ऐसी फ़िज़ाए शहर बदली है……..
प्रेम का हृदय में ऐसा संचार हुआ कि आँखों में रोशनी भर गयी, जिस गली कूँचे से निकले उसमें भी नयी रंगत दिखने लगी। प्रेमी का आस-पास होना ही हृदय में उमंग भर देता है।

“तुम आ गए हो नूर आ गया है ,अभी तक चिराग़ों में लौ जा रही थी
जीने की तुमसे वजह मिल गयी है बड़ी बेवजह ज़िंदगी जा रही थी”
मशहूर शायर गुलज़ार की इन पंक्तियों में भी प्रेम ने जीने कारण ढूँढ लिया है।

बहुत से लेखक कवि और नाट्य रचनाकार हज़ारों सालों से प्रेम को शब्दों में बाँधने की कोशिश कर चुके हैं। उनके साहित्य को पढ़कर लगता है प्रेम ही शाश्वत है, हमेशा से है, हमेशा से था और रहेगा।

वैलेंटाइन डे का इतिहास भी ५ वीं सदी से सम्बंधित है। पहले ये feast of St Valentine के रूप में आयोजित होता था। आज जो वैलेंटाइन डे मनाया जाता है वह Rome के सेंट वैलेंटाइन के जीवन की याद में मनाया जाता है। वे उन सैनिकों की छिपाकर शादियाँ करवाते थे जिन्हें राज्य से अनुमति नहीं थी। प्रेमी जोड़ियों को मिलवाने के लिए सेंट वेलेन्टाइन ने अपनी जान तक दे दी। आज उस त्याग की रंगत संसार के हर शहर में जा बसी है अब यह उत्सव सिर्फ़ यूरोप ही नहीं एशिया, अमेरिका, आस्ट्रेलिया और अफ़्रीका चारों तरफ़ १४ फ़रवरी के दिन मनाया जाता है।

प्रेम शाश्वत है उसे सीमाओं में बांधा नहीं जा सकता। प्रेम होगा तो इज़हार भी होगा, हर इंसान का अलग अन्दाज़ है। कोई गीत गाता है तो कोई कविता लिखता है। कोई ग़ुब्बारे उड़ाता है तो कोई फूलों के गुलदस्ते, कोई केक पेस्ट्री भेजता है तो कोई अख़बारों में संदेश देता है। इन सब कोशिशों के पीछे एक ही भावना काम करती है किसी तरह मन की चाहत दूसरी तरफ़ पहुँचे ।
“My bounty is as boundless as the sea.My love as deep; that I give to thee. The more I have, for both are infinite. ”

William Shakespeare ने भी कहा
मेरा प्रेम अथाह गहरे समुद्र की तरह है जो मैं तुम्हें देना चाहता हूँ जितना अधिक मेरे पास है क्यूँकि यह दोनों ही अनंत हैं।

जनाब बशीर बद्र ने फर माया है
“महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
खुदा किसी की मुहब्बत पे मुस्कुराया है।”

श्री श्री रवि शंकर जी के अनुसार वैलेंटायन डे उस शाश्वत प्रेम की इबादत है जहाँ मैं ,मैं न रहूं और तू ,तू ना रहे ।पूरा संसार ही इसे अपना ले तो रंजिश का मौसम ही ना बने।
Abiding in the self
You become the Valentine
For the whole world
Have the same love for everyone
With different flavours
You can not behave the same way with everyone
but you can love all of them the same.

आज शायद छोटे दायरों से उठाकर ऐसे ही प्रेम की ज़रूरत पूरे संसार को है।साल के तीन सौ पैंसठ दिन, चौबीस घंटे, हर पल, हर घड़ी।

Let’s celebrate Valentines !!!

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बचपन से प्रकृति की गोद में पली-बढ़ी श्रद्धा बक्शी कवि और कलाकार पिता की कलाकृतियों और कविताओं में रमी रहीं। साहित्य में प्रेम सहज ही जागृत हो गया। अभिरुचि इतनी बढ़ी कि विद्यालय में पढ़ाने लगीं। छात्रों से आत्मीयता इतनी बढ़ी कि भावी पीढ़ी अपना भविष्य लगने लगी। फ़ौजी पति ने हमेशा उत्साह बढ़ाया और भरपूर सहयोग दिया। लिखने का शौक़ विरासत में मिला जो नए कलेवर में आपके सामने है......

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