कुछ तुम कहो… कुछ हम कहें…
नव वर्ष का स्वागत है। जो बीत गया, उस समय का धन्यवाद। बहुत कुछ घटित हुआ और बहुत कुछ मिला। वहीं से आगे बढ़ते हुए नए आनेवाले समय के प्रति नई आशाओं के साथ आइए, अब हम साथ-साथ बढ़ें। हमारे प्रोजेक्ट फ्युएल के १ मिलियन सदस्यों के अभियान में आप सभी का स्वागत है।
प्रोजेक्ट फ्युएल का अभिप्राय ही है स्कूली परिवेश से इतर विद्यार्थी स्तर के बच्चों को वो शिक्षा देना जो उन्हें दिन-प्रतिदिन के जीवन को ज़िम्मेदारीपूर्वक जीना सिखाए। हमारे विद्यालयी पाठ्यक्रम विभिन्न विषयों पर जानकारी बढ़ाते हैं पर प्रतिदिन स्वयं कैसा आचरण करना है यह अन्तरदृष्टि प्रोजेक्ट फ्युएल जगाने का प्रयास कर रहा है।
पिछले वर्ष नेपाल, वाराणसी, पाँच यूरोपीय देशों की यात्रा और वहाँ से मिले जीवन की असंख्य शिक्षाएँ, परिभाषाएँ प्रोजेक्ट फ्युएल को यू एन की अहम सीट पर बैठा गयीं। हमने अनुभव किया कि अब हमारी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ गयी है। हमें अधिक से अधिक जन तक पहुँचना होगा। युवा, बच्चे, बड़े, बूढ़े सभी हमारा लक्ष्य हैं। कुछ तुम कहो… कुछ हम कहें… मिलजुल कर तुम हम संग चलें….
संग चलें से अभिप्राय है एक दूसरे के पूरक बनें। एक दूसरे की कमियाँ जानते हुए भी, एक दूसरे के महत्त्व को स्वीकारें। स्वीकारोक्ति, तुम हर हाल में स्वीकार हो। जब मन में प्रेम होता है तो हमें मित्र, बंधु सब अच्छे लगने लगते हैं। आलोचनात्मक मन सुप्तप्राय हो जाता है। बस इसी आलोचनात्मक बुद्धि को कम से कम उठने देना है। प्रेम ही इसका निदान है। सहृदयता इसकी जननी। आज का युवा मित्रों के अलावा भी अगर समाज के प्रति सहृदयता अपना लें तो बहुत सी समस्याओं का निदान सहज ही सम्भव है।