फ़्यूअल अभिनंदन: अनुराधा कोइराला
मैं हमेशा यही सोचता हूँ कि इस संसार को बदलने के लिए विचार आना और उसे निष्पादित करना एक व्यक्ति के बस की बात नहीं है, लेकिन उनका चेहरा मेरे ज़हन में बार -बार उभरता है और मुझे ग़लत सिद्ध करता है। वो सिद्ध करती हैं कि एक अकेला व्यक्ति अपने प्यार, दया और अथक परिश्रम से उस संसार को बदल सकता है जो किसी बड़े बदलाव के लिए प्रयत्न की प्रतीक्षा कर रहा है।
मैती नेपाल की संस्थापक अनुराधा कोइराला से मेरी पहली मुलाक़ात TedxGateway में भाषण के रिहर्सल के दौरान हुई। वो एक सादा भूरे रंग का स्वेटर,साफ़-सुथरी धूमिल सफ़ेद साड़ी पर पहने थीं। मुझे उनकी सुसंस्कृत विनम्रता और तेजस्विता याद है। हमने उस दिन बहुत कम बात की, लेकिन अगले दिन दोपहर के भोजन के समय जब हम मिले तो हमने बहुत लम्बी बात की और मैंने उनके साथ अद्भुत समय बिताया। वो बहुत विनोदी,व्यावहारिक और अनुभवी लगीं। मुझे उसी समय पता चल गया कि वे मेरे जीवन की सबसे पसंदीदा व्यक्तित्वों में से एक होंगी।
मैती नेपाल, नेपाली लड़कियों और स्त्रियों को बहुत से अपराधों से जैसे -घरेलू मारपीट,मानव तस्करी, बाल वेश्यावृत्ति ,बाल मजदूरी और अन्य कई प्रकार के शोषण और यातनाओं से बचाने के लिए स्थापित किया गया। अपने संगठन द्वारा अनुराधा मैडम ने तक़रीबन १२००० नेपाली लड़कियों को न सिर्फ़ बंधकों या एजेंटों से छुड़वाया बल्कि उनके पुनर्वास का तरीक़ा भी ढूँढा। उनके संगठन ने सन् १९९३ से भारत-नेपाल सीमा से तक़रीबन ४५००० स्त्रियों और बच्चों को मानव तस्करों से बचाया।
अपनी पहली मुलाक़ात के बाद जब मैं नौ महीने बाद उनसे काठमाण्डू में मिला तो पूछा,”इतने लोगों की सहायता करके उन्हें कितनी संतुष्टि या पूर्णता का बोध हुआ?” उन्होंने जवाब दिया,”मैं तभी सफल होऊँगी जब मैती नेपाल संस्था बन्द हो जाएगी। उससे साबित होगा कि अब मानव तस्करी बंद हो गयी है। अब इस संगठन की आवश्यकता ही नहीं रही। मेरे दिल की आख़िरी धड़कन तक लड़ती रहूँगी।”
अनुराधा मैडम का जीवन सार बहुत स्पष्ट है बिल्कुल उन्ही की तरह; जिस लक्ष्य पर विश्वास करो उसके लिए सब कुछ दाँव पर लगा दो। यह बहुत गहराई दर्शाता है। मैंने उनसे कभी नहीं पूछा आपको जीवन सार कैसे मिला? उनकी पूरी ज़िंदगी इसका पर्याय है।