इस वर्ष अगस्त में मुझे देहरादून के शांत सुरम्य वातावरण में स्थित ऐन मैरी स्कूल ने आमंत्रित किया। देहरादून मेरा घर है। मैं बहुत प्रसन्न हुआ। जिस दिन मेरी workshop शुरू हुई, उस दिन वहाँ तक़रीबन १२० अध्यापिकाएं थीं। उनके चेहरे पर मधुर स्मित मुस्कान दिख रही थी। भ्रमित भाव-भंगिमाएँ और फुसफुसाहटें तैर रही थीं। ऐसा मुझे बहुत बार देखने…
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2015 के सितंबर के पहले हफ्ते में ऐसा लगने लगा था कि मानों मुझे कहीं भी छुट्टी पर जाना है, बस यहां इस भीड़-भाड़ में नहीं रहना। इस बात का अंदाज़ा कतई नहीं था कि आगे एक ट्रैक मेरा इंतज़ार कर रहा था। लैपटॉप पर जब 'कहां जा सकते हैं'? इस सवाल का जवाब ढूंढना शुरू किया तो ट्रैक पर…
रेखाओं की तरह खिंची चमकती ऑंखें, चेहरे पर गहरी लकीरें, व्हील चेयर पर बैठे इस शख़्स में कुछ एेसा था जिसने हमारा ध्यान खींचा। हमने उनके पीछे खड़े साथी से बातचीत शुरु की। उन्होंने बताया जीवन में घटनाएँ अचानक ही घटती हैं, सिर्फ़ हमें उनके साथ समझौता करना आना चाहिए। हमने उनसे पूछा,"आपने अपने जीवन में आनेवाले परिवर्तन से क्या…
१७ नवम्बर २०१५ की गहराती शाम, मैं अपनी बहन और माँ के साथ देहरादून में घर के टेरेस पर खड़ा यूँ ही हँसी मज़ाक़ कर रहा था। तभी मेरी बहन और मैंने निर्णय लिया कि चलो बाज़ार से केक ले आते हैं और माँ सड़क के पार पुजारी जी से मिलकर कल की पूजा के लिए समय ले लेंगी।१८ नवम्बर…