सद् प्रेरणा : सही दिशा
जीवन में हम कभी ना कभी किसी और से प्रभावित होते रहे हैं। कभी ये प्रेरणा हमें सही दिशा भी देती है और कभी ग़लत राह पर भी मोड़ देती है। इसलिए जीवन को आसान या कठिन बनाना हमारे नज़रिए पर निर्भर करता है। आप जीवन में बहुत कुछ कर सकते हैं इतना जितना आप सोच भी नहीं सकते।
गीता में कहा गया है कि श्रेष्ठतम् व्यक्ति जैसे आचरण करता है उसे देखकर दूसरे भी वैसा ही करने लगते हैं। सामान्य व्यक्ति उसे प्रमाण मानकर वैसा ही अाचरण करने का प्रयास करते हैं। इसलिए जीवन में हमेशा श्रेष्ठता का ही अनुकरण करना चाहिए। जो छोटी-छोटी बातों में सच को गंभीरता से नहीं लेता है, उसपर बड़ी समस्याओं में भी भरोसा करना ठीक नहीं।दूसरों की सोच से अधिक हासिल करना ही आपकी सफलता है।
अच्छे विचार, अच्छे संस्कार और आपसी प्रेम-सौहार्द का सृजन भी अत्यंत ज़रूरी है। बहुत सही कहा गया है जब हम अपने अन्दर दूसरों के विरोधी विचारों को बिना क्रोधित हुए या आत्म विश्वास खोए स्वीकार करना सीख जाते हैं तब समझना चाहिए कि हममें परिपक्वता आनी शुरू हो गई है। प्रसिद्ध मीडिया व्यक्तित्व ओप्राह विन्फ़्री के अनुसार अपने जीवन को मनचाही दिशा में या सपनों को पूरा करनेवाली सफलता के लिए किसी स्रोत या व्यक्ति की प्रेरणा नहीं बल्कि स्वप्रेरणा की ज़्यादा ज़रूरत पड़ती है। कोशिश करना हमारे हाथ में है किसी के सहारे या किस्मत के सहारे बैठने वाले आगे नहीं बढ़ सकते।
स्वर्गीय राष्ट्रपति डॉक्टर ए पी जे अब्दुलकलाम की किताब ‘अापका भविष्य आपके हाथ’ में लिखा है, “अगर सारी कठिनाइयों से लड़कर मैं इतना कुछ हासिल कर सका हूँ तो कोई और भी ऐसा कर सकता है। स्वप्न वो नहीं जो रात में सोते हुए देखो। स्वप्न ऐसे होने चाहिए जो रात में सोने न दें।”
इंसान वो ही प्रगति करता है जो अपनी सोच पर नियन्त्रण और विचार सकारात्मक रखता है। हमें अच्छे विचारों की किताबें जैसे शिव खेरा की पुस्तक ‘यू कैन विन’, पिरामिद बेट्स की ‘ Be a winner everywhere’, John Willy & sons की ‘Change your thinking’ जैसी किताबें पढ़नी चाहिए। महान पुरुषों की आत्मकथाएँ बहुत प्रेरणादायक होती हैं।ये ही पारस की तरह लोहे को भी सोना बनाने की ताक़त रखती हैं। सोचिए तो जीवन में कुछ भी मुश्किल नहीं है।ज़रूरत है तो स्वयं पर विश्वास करने की, उस विश्वास को सदैव बनाए रखने की और उसे सही राह पर चलाने की, एक दृढ़ निश्चय या संकल्प की।
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प्रोजेक्ट फ्युएल द्वारा हम चाहते हैं कि हमारे देश के गुणी एवं प्रेरक अध्यापकों को स्कूल की सीमा के बाहर भी अपने अनुभव भरे ज्ञान बाँटने का अवसर मिले। इस समूह के निर्माण से ना केवल अध्यापकों को अपनी बात कहने का मंच मिलेगा बल्कि अपनी कक्षाओं से बाहर की दुनिया को भी प्रभावित और जागृत करने की चुनौती पाएंगे। आज यह प्रासंगिक होगा कि हम एक पहल करें हिंदी के लेखकों और पाठकों को जोड़ने की।हम चाहते हैं कि पाठक अपनी बोलचाल की भाषा में कैसी भी हिंदी बोलें पर उनका शब्द भंडार व वाक्य विन्यास सही रहे। हमें उम्मीद है इस सफ़र में साथ जुड़कर अध्यापक बहुत कुछ नई जानकारी देंगे।
इसी श्रंखला में हमने आमंत्रित किया है :
श्रीमती प्रीति पंत, आर्मी स्कूल देहरादून