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मेरे अपने काम के कैलेंडर से माथा पच्ची करने के बाद मुझे लगा कि औसतन एक महीने में मैं, डेढ़ से दो हज़ार लोगों से मिल रहा हूँ। एक शिक्षक, गीत लेखक, स्क्रिप्ट प्ले लेखक, कार्यकारी प्रोड्यूसर और कवि के रोल में मुझे लगता है कि मैं सबसे पहले Hello कहने वाला और तुरंत ही अलविदा कहने वाला व्यवसायी हूँ।

२०१५ का अक्टूबर का महीना बहुत विशेष था। मैं इस महीने यात्रा ही करता रहा। झाँसी से कोलकाता और वहाँ से उत्तरी पूर्वी राज्य (North East)। मैंने बस कुछ ही दिन काम किया, बाक़ी समय अवकाश, आनंद और परमानंद में बीता। मैंने यह महीना कुछ ऐसे लोगों के बीच बिताया जो बिलकुल अजनबी थे। नई सम्भावनाओं से भरे पंद्रह कलाकार जो फ़ोटोग्राफ़र, फ़िल्मकार, संगीतज्ञ, चित्रकार, कार्टून बनाने वाले, डिज़ाइनर और बहुत ही संजीदा इंसान थे। मुझे उनका साथ बहुत गहराई तक छू गया। मैंने उनसे नई-नई कला की विधाएँ सीखने का प्रयास किया। मेरी उनसे विभिन्न रोचक विषयों पर बातें हुईं। मुझे उनके नए विचार सुनने और अपनी कहने का मौक़ा मिला जिससे मेरा आत्मिक विकास हुआ। और तो और पान खाने में, लम्बी-लम्बी सैर करने में और रातों की लम्बी ड्राइव पे जाने में मुझे नयापन लगा। मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूँ कि यह सिर्फ़ स्थान या मस्ती का आलम नहीं था, यह उन लोगों का साथ था, जिन्होंने जीवन में ताज़गी भरी।

काम के सिलसिले में नए लोगों से मिलना पूरी तरह अलग होता है जब आप काम के दायरे से बाहर नए लोगों से मिलते हैं और वो भी पूरे एक महीने के लिए। (हम आगे बताएँगे, क्यूँ पूरा एक महीना)

इन अनजान नए लोगों से जब आप मिलते हैं आप अपने आरामदायक रूटीन से बाहर निकलते हैं, बातें करते हैं और उनमें से उन्हें ढूँढते हैं जो आपके आत्मिक विकास में सहायक होते हैं।

‘हर इंसान को पूरा एक महीना चाहिए अनजान लोगों से मिलने का और उन्हें जानने का।’

यह उपहार हमें स्वयं को ही देना चाहिए। ये परामर्श आप उससे ले ही लीजिए जो रोज़ाना अपने काम के कारण बहुत से लोगों से मिलता है।

आप पूछेंगे, एक महीना क्यूँ? एक दो सप्ताह क्यूँ नहीं? क्यूँकि पूरे साल में नया रंग भरने के लिए एक महीना आवश्यक है। आपके दृष्टिकोण को बदलने के लिए, आपके नवीनीकरण के लिए इतना तो चाहिए ही। यह समय इतना लम्बा भी नहीं कि आप बोर हो जायँ।

संसार भर में लोग एक महीने के संतुष्टि प्रोजेक्ट, यादगार प्रोजेक्ट लेकर काम करते हैं। कुछ तो सेल्फ़ी प्रोजेक्ट भी करते हैं। मुझे लगता है अब समय आ गया है जब हम पूरे महीने का लोगों का प्रोजेक्ट चलाएँ।

ये कुछ तरीक़े हैं जिन्हें आप अपना सकते हैं:

१.यात्रा करें :
मैं इसे बहुत विशेष मानता हूँ। अगर आप समय और पैसा वहन कर सकें तो पूरे एक महीने की यात्रा पर अवश्य जाएँ।आपको यात्रा के दौरान ही सब आराम और सुविधाएँ मिलने का अभ्यास हो जाएगा।नए लोगों के साथ बस, ट्रेन या जहाज यात्रा में आप बातें करते हुए खुलने लगेंगे वो इतने अजनबी नहीं लगेंगे। जगह-जगह लोग आपको अपने घरों में ठहराएँगे। जहाँ प्रेम, गर्मजोशी और उदारता बहुत मिलेगी। आप जितना बोलते हैं उससे कहीं ज़्यादा शब्द उन्हे धन्यवाद कहते हुए प्रयुक्त करेंगे।यात्रा के दौरान नए लोगों से मिलना आपको भाव विभोर कर देगा।चाहे अनुभव अच्छा हो या बुरा अधिकांशतःइस लायक होगा जिससे बहुत कुछ गुना जा सके।

२.स्थानस्थ रहें:
अगर आप यात्रा पर ना जा सकें तो वहीं शुरू कीजिए जहाँ आप हैं। आप एक महीने तक किसी भाषा को सीखने का, नृत्य, संगीत, वाद्य यंत्र या कम्प्यूटर सीखने का कोर्स कीजिए। वो करिए जिसे आपको करने में आनंद मिले। यह नए लोगों से चाहे-अनचाहे मिलने का कारगर तरीक़ा है।

३.सामाजिक स्थान चुनें:
अपने आसपास की चार कॉफ़ी शॉप चुन लीजिए और एक महीने तक रोज़ाना बिला नागा बिना किसी किताब के या मोबाइल के ख़ास समय पर बैठिए। पहले तीन दिनों में ही मन की हिचकिचाहट समाप्त हो जाएगी। वहाँ रोज़ाना आनेवाले लोगों का स्वागत कीजिए (कॉफ़ी शॉप में ऐसे रोज़ाना आने वाले बहुत से लोग होते हैं)। उनसे बातें कीजिए। एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँचने में आसानी होती है दोस्ती कीजिए। उनके लिए उत्सुक और तैयार रहिए।

४.अगर ऊपर दिए गए तीन में से एक तरीक़ा आप अपना लेंगे तो निश्चय ही चौथा भी आपको जल्दी ही मिल जाएगा।

उस एक विशेष स्वयं को समर्पित, एक महीने में यह ज़रूरी नहीं कि सभी आपके जैसे लोग ही मिलेंगे, लेकिन कुछ अवश्य ही होंगे। आप तभी जान पाएँगे जब कामकाज से अलग पूरा एक महीना पूरी सच्चाई के साथ नए लोगों से मिलने का प्रयास करेंगे। आप कुछ विशेष मित्र बनाएँगे जो हमेशा के लिए आपके हो जाएँगे। कुछ नए कनेक्शन बनेंगे जो आपके काम-काज में मदद करेंगे। कुछ निरुद्देश्य से परिचित होंगे और कुछ ऐसे होंगे जिनके साथ आप रहना पसंद नहीं करेंगे।

हो सकता है आपको कोई संरक्षक, आलोचक, चिकित्सक, सम अभिरुचि वाला, कला गुरु और कौन जानता है कौन मिल जाए? एक ही तरीक़ा है कि पूरे एक महीने तक बाहर जाएँ और अजनबियों के साथ समय व्यतीत करें।

मैं जानता हूँ कि इस संसार में जितने लोग हैं उतने ही नए लोगों से मिलने के नए तरीक़े हो सकते हैं। एक महीने का लोगों का प्रोजेक्ट उतना ही रोमांचक हो सकता है जितना आप उसे बनाना चाहें। मैं इस बात पर फिर बल दूँगा कि यह उपहार हमें स्वयं को देना ही चाहिए।

आपने अजनबी लोगों से मिलने के काम काज से अलग कौन से तरीक़े अपनाए? नीचे प्रतिक्रिया बॉक्स में हमसे share करें। मुझे बहुत अच्छा लगेगा और शायद अगली बार मैं स्वयं आपका तरीक़ा अपनाऊँ।

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About The Author

Deepak Ramola, Founder and Artistic director of FUEL is a life skill educator at heart and in practice. With his initiative Project FUEL Deepak travels across the continent with people's life lessons designed as interactive and performance based exercises. He is also a gold medallist in BMM from the University of Mumbai, a spoken word poet, an actor, a lyricist and a writer.

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