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यूँ ही मेज़ पर रखी मासिक पत्रिकाओं के पन्ने टटोलते हुए निगाह कुछ अभिव्यक्तियों पर पड़ी। मैंने उन्हें डायरी में अंकित कर लिया। दिल तक छू जानेवाली ये कविताएँ और उनमें भी कुछ पंक्तियाँ ऐसी, जो ज़ुबान पर बार -बार आएँ। कम शब्दों में अनुकरणीय और सटीक पेशकश...... मित्रों, ऐसी गागर में सागर जैसी बातों को क्यों ना गहराई से…

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